भारत के हर राज्य के अपने अलग राजकीय प्रतीक चिन्ह है, आज हम आप लोगों को राजस्थान के प्रतीक चिन्ह या यूं कहें कि Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh राजस्थान के राजकीय प्रतीकों के बारे में बताएंगे।
अगर आप राजस्थान राज्य के हैं और आप राजस्थान के किसी भी गवर्नमेंट एग्जाम यानी कि सरकारी और गैर सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हो तो आपके लिए यह जानना भी बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल आने वाली बहुत सारी ऐसी एग्जाम्स है जिनमें बेसिक क्वेश्चन भी पूछे जा सकते हैं तो आपको राजस्थान राज्य के राजचिन्ह ओं के बारे में या राजकीय चिन्ह प्रतीकों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh
और यह आपके आने वाले एग्जाम्स मैं पूछे जाने की बहुत ज्यादा संभावना है और यह पढ़कर आपकी काफी ज्यादा हेल्प हो सकती है आने वाले एग्जाम उसको क्रैक करने में।
राजस्थान मैं 30 मार्च 1949 में जैसलमेर जयपुर बीकानेर जोधपुर रियासतों का विलय हुआ और एक बड़ा संघ बना राजस्थान और इसी दिन को राजस्थान का स्थापना दिवस माना जाता है।
राजस्थान राज्य का राजकीय पशु || Rajasthan Ka Rajkiya Pashu
राजस्थान राज्य पशु दो है पहला चिकारा और दूसरा ऊंट
शिकारा को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया है यह सन 1981 में शिकारा को राज्य पशु का दर्जा दिया गया है। शिकारा को कई नामों से जाना जाता है जैसे गजेला और छोटा हिरण के नाम से भी को जाना जाता है क्योंकि यह हूबहू हिरण के जैसा ही दिखता है इसलिए।
यह एक एटीलोपिनी प्रजाति का एक प्राणी है।
जिस का वैज्ञानिक नाम गजेला बेनेटी है।
शिकारा को वन्य श्रेणी का राज्य पशु का दर्जा दिया गया है इसको अक्सर राजस्थान के जयपुर के नाहरगढ़ के इलाकों में अक्सर देखा जा सकता है।
ऊंट राजस्थान का दूसरा राज्य पशु है इसको पालतू पशु की श्रेणी में राज्य पशु का दर्जा दिया गया है ऊंट को राजस्थान का राज्य पशु 19 सितंबर 2014 को दिया गया है।
ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है।
ऊंट का वैज्ञानिक नाम कैमेलस है।
राजस्थान राज्य का राजकीय पक्षी || Rajasthan Ka Rajkiya Pakshi
गोडावण को राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया है यह सन 1981 में गोडावण को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है राजस्थान में।
गोडावण को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि सोहन चिड़िया हुकना, गुरायिन और इसको शर्मिला पक्षी के नाम से भी जाना जाता है।
- यह उड़ने वाले पक्षियों मैं एक सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी की श्रेणी में आता है।
- आकार में बड़ा होने के कारण यह चतुर मुर्ग जैसा प्रतीत होता है।
- गोडावण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम से भी जाना जाता है।
- और गोडावण का वैज्ञानिक नाम Ardeotis Nigriceps (आर्डियोटिस निग्रिसेप्स) है।
राजस्थान राज्य का राजकीय पुष्प
रोहिड़ा के फूल को राजस्थान का राजकीय फूल या पोस्ट पर घोषित किया गया है। यह सन 1983 में राजस्थान राज्य सरकार ने इससे राजकीय पुष्प का दर्जा दिया गया है।
रोहिडा के पेड़ सर्वाधिक राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में पाए जाते हैं। रोहिणी के पेड़ के पुष्प फूल मार्च अप्रैल के महीने में आते हैं और इसके फूल या पुष्पों का रंग बहुत ही ज्यादा गहरा केसरिया पीला होता है।
रोहिणी का वैज्ञानिक नाम टिको मेला अंडूलेटा है।
राजस्थान का राजकीय वृक्ष
खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष या पेड़ घोषित किया गया है।खेजड़ी वृक्ष को कई नामों से भी जाना जाता है जैसे कि शमी जांट, जांटी, सांगरी आदि आदि नामों से भी जाना जाता है राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को।
खेजड़ी वृक्ष का व्यापारिक नाम कांडी है।
खेजड़ी वृक्ष का वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है।
खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का कल्पतरु भी कहा जाता है क्योंकि यह कड़कती धूप में भी हरी पत्तियां इन पर रहती है जिसके कारण राजस्थान के रेगिस्तान में रहने वाले जानवरों के लिए काफी अच्छा होता है छाया देने के लिए।
खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष 1983 में घोषित किया गया है।
राजस्थान का राजकीय खेल
बास्केटबॉल को राजस्थान का राज्य खेल घोषित किया गया है यह सन 1948 में बास्केटबॉल को राजस्थान राज्य सरकार ने राज्य खेल घोषित किया गया है।बॉस्केटबॉल में हर एक टीम में 5 खिलाड़ी होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल संघ इस खेल को नियंत्रित करने वाली संस्था है।
राजस्थान का राजकीय नृत्य
घूमर नृत्य को राजस्थान का राजकीय नृत्य माना जाता है घूमर राजस्थान का एक परंपरागत लोक नृत्य है यह नृत्य सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाता है इस नृत्य में महिलाएं घुंघट लगाकर और घाघरा पहन कर नृत्य करती है। घूमर नृत्य में महिलाएं एक घेरा बनाकर नदी करती है।
राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य
कथक नृत्य को राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य कहा जाता है कथक नृत्य उत्तर भारत का एक नृत्य में से प्रमुख नृत्य है। कत्थक नृत्य भारत के लखनऊ और राजस्थान के जयपुर में सबसे ज्यादा फेमस है। कथक नृत्य के जन्मदाता के रूप में भानु जी महाराज को माना जाता है।
राजस्थान का राजकीय गान/गीत
केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश गीत को राजस्थान का राज्य गीत का दर्जा दिया गया है।
इस गीत को पहली बार उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गाया गया था।
तो दोस्तों हम लोगों ने आप लोगों को ऊपर राजस्थान के राजकीय प्रतीक चिन्हों के बारे में बताया है तो यह जानकारी आप लोगों को अच्छी लगी होगी और आपकी आने वाले एग्जाम में इन से रिलेटेड बहुत सारे क्वेश्चन बन सकते हैं।
और आपने पूरी तरीके से इसको पढ़ा होगा तो आपकी आने वाली एग्जाम नगर इस तरह के क्वेश्चन पूछे जाए तो आप आसानी से इनके अनुसार दे सकते हो।