राजस्थान के प्रतीक चिन्ह 2024 || Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

भारत के हर राज्य के अपने अलग राजकीय प्रतीक चिन्ह है, आज हम आप लोगों को राजस्थान के प्रतीक चिन्ह या यूं कहें कि Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh राजस्थान के राजकीय प्रतीकों के बारे में बताएंगे।

अगर आप राजस्थान राज्य के हैं और आप राजस्थान के किसी भी गवर्नमेंट एग्जाम यानी कि सरकारी और गैर सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हो तो आपके लिए यह जानना भी बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल आने वाली बहुत सारी ऐसी एग्जाम्स है जिनमें बेसिक क्वेश्चन भी पूछे जा सकते हैं तो आपको राजस्थान राज्य के राजचिन्ह ओं के बारे में या राजकीय चिन्ह प्रतीकों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।

Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh
राजस्थान के राजकीय प्रतीक चिन्ह
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

और यह आपके आने वाले एग्जाम्स मैं पूछे जाने की बहुत ज्यादा संभावना है और यह पढ़कर आपकी काफी ज्यादा हेल्प हो सकती है आने वाले एग्जाम उसको क्रैक करने में।

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राजस्थान मैं 30 मार्च 1949 में जैसलमेर जयपुर बीकानेर जोधपुर रियासतों का विलय हुआ और एक बड़ा संघ बना राजस्थान और इसी दिन को राजस्थान का स्थापना दिवस माना जाता है।

राजस्थान राज्य का राजकीय पशु || Rajasthan Ka Rajkiya Pashu

राजस्थान राज्य पशु दो है पहला चिकारा और दूसरा ऊंट

शिकारा को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया है यह सन 1981 में शिकारा को राज्य पशु का दर्जा दिया गया है। शिकारा को कई नामों से जाना जाता है जैसे गजेला और छोटा हिरण के नाम से भी को जाना जाता है क्योंकि यह हूबहू हिरण के जैसा ही दिखता है इसलिए।

Rajasthan Ka Rajkiya Pashu
राजस्थान राज्य का राजकीय पशु
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

यह एक एटीलोपिनी प्रजाति का एक प्राणी है।

जिस का वैज्ञानिक नाम गजेला बेनेटी है।

शिकारा को वन्य श्रेणी का राज्य पशु का दर्जा दिया गया है इसको अक्सर राजस्थान के जयपुर के नाहरगढ़ के इलाकों में अक्सर देखा जा सकता है।

राजस्थान राज्य का राजकीय पशु
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

ऊंट राजस्थान का दूसरा राज्य पशु है इसको पालतू पशु की श्रेणी में राज्य पशु का दर्जा दिया गया है ऊंट को राजस्थान का राज्य पशु 19 सितंबर 2014 को दिया गया है।
ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है।
ऊंट का वैज्ञानिक नाम कैमेलस है।

राजस्थान राज्य का राजकीय पक्षी || Rajasthan Ka Rajkiya Pakshi

गोडावण को राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया है यह सन 1981 में गोडावण को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है राजस्थान में।
गोडावण को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि सोहन चिड़िया हुकना, गुरायिन और इसको शर्मिला पक्षी के नाम से भी जाना जाता है।

Rajasthan Ka Rajkiya Pakshi
राजस्थान राज्य का राजकीय पक्षी 
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh
  • यह उड़ने वाले पक्षियों मैं एक सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी की श्रेणी में आता है।
  • आकार में बड़ा होने के कारण यह चतुर मुर्ग जैसा प्रतीत होता है।
  • गोडावण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम से भी जाना जाता है।
  • और गोडावण का वैज्ञानिक नाम Ardeotis Nigriceps (आर्डियोटिस निग्रिसेप्स) है।

राजस्थान राज्य का राजकीय पुष्प

रोहिड़ा के फूल को राजस्थान का राजकीय फूल या पोस्ट पर घोषित किया गया है। यह सन 1983 में राजस्थान राज्य सरकार ने इससे राजकीय पुष्प का दर्जा दिया गया है।

राजस्थान राज्य का राजकीय पुष्प
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

रोहिडा के पेड़ सर्वाधिक राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में पाए जाते हैं। रोहिणी के पेड़ के पुष्प फूल मार्च अप्रैल के महीने में आते हैं और इसके फूल या पुष्पों का रंग बहुत ही ज्यादा गहरा केसरिया पीला होता है।
रोहिणी का वैज्ञानिक नाम टिको मेला अंडूलेटा है।

राजस्थान का राजकीय वृक्ष

खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष या पेड़ घोषित किया गया है।खेजड़ी वृक्ष को कई नामों से भी जाना जाता है जैसे कि शमी जांट, जांटी, सांगरी आदि आदि नामों से भी जाना जाता है राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को।
खेजड़ी वृक्ष का व्यापारिक नाम कांडी है।
खेजड़ी वृक्ष का वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है।

राजस्थान का राजकीय वृक्ष
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का कल्पतरु भी कहा जाता है क्योंकि यह कड़कती धूप में भी हरी पत्तियां इन पर रहती है जिसके कारण राजस्थान के रेगिस्तान में रहने वाले जानवरों के लिए काफी अच्छा होता है छाया देने के लिए।
खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष 1983 में घोषित किया गया है।

राजस्थान का राजकीय खेल

बास्केटबॉल को राजस्थान का राज्य खेल घोषित किया गया है यह सन 1948 में बास्केटबॉल को राजस्थान राज्य सरकार ने राज्य खेल घोषित किया गया है।बॉस्केटबॉल में हर एक टीम में 5 खिलाड़ी होते हैं।

राजस्थान का राजकीय खेल
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

अंतर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल संघ इस खेल को नियंत्रित करने वाली संस्था है।

राजस्थान का राजकीय नृत्य

राजस्थान का राजकीय नृत्य
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

घूमर नृत्य को राजस्थान का राजकीय नृत्य माना जाता है घूमर राजस्थान का एक परंपरागत लोक नृत्य है यह नृत्य सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाता है इस नृत्य में महिलाएं घुंघट लगाकर और घाघरा पहन कर नृत्य करती है। घूमर नृत्य में महिलाएं एक घेरा बनाकर नदी करती है।

राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य

राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

कथक नृत्य को राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य कहा जाता है कथक नृत्य उत्तर भारत का एक नृत्य में से प्रमुख नृत्य है। कत्थक नृत्य भारत के लखनऊ और राजस्थान के जयपुर में सबसे ज्यादा फेमस है। कथक नृत्य के जन्मदाता के रूप में भानु जी महाराज को माना जाता है।

राजस्थान का राजकीय गान/गीत

केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश गीत को राजस्थान का राज्य गीत का दर्जा दिया गया है।
इस गीत को पहली बार उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गाया गया था।

राजस्थान का राजकीय गान/गीत
Rajasthan Ke Rajkiya Pratik Chinh

तो दोस्तों हम लोगों ने आप लोगों को ऊपर राजस्थान के राजकीय प्रतीक चिन्हों के बारे में बताया है तो यह जानकारी आप लोगों को अच्छी लगी होगी और आपकी आने वाले एग्जाम में इन से रिलेटेड बहुत सारे क्वेश्चन बन सकते हैं।

और आपने पूरी तरीके से इसको पढ़ा होगा तो आपकी आने वाली एग्जाम नगर इस तरह के क्वेश्चन पूछे जाए तो आप आसानी से इनके अनुसार दे सकते हो।

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